Wednesday 9 March 2022

किताब मोहब्बत की

||किताब मोहब्बत की ||

मोहब्बत की किताब लिखते- लिखते
हम खुद ही गुम हुऐं , 
मोहब्बत का ऐलान करते- करते
खुद ही उसमें डुब गए ||

सोचा था, मोहब्बत को
कोरे कागज़ पे बेनकाब कर दूॅं, 
पर कागज़ ही शरमा गए ||

तब सोच में पड गए
एैसा क्या लिख दिया हमनें, 
तब जा के पता चला की
कलम़ को भी कागज़ से मोहब्बत है ||

मोहब्बत का किताब लिखते- लिखते
कलम़ ने ख़ुद को बेनकाब कर दिया, 
जिस्से आज कागज़ भी कलम़ के बिना 
अधुरा है ||

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